स्कंध पुराण में, विष्णु पुराण में पांच ऐसे वृक्ष बताए हैं जिनके निचे से केवल आप निकलकर भी चले जाए तो आपको अद्भुत बल प्राप्त होता हैं.
जब आप कुर्म पुराण को श्री शिवमहापुराण को पढ़ते हैं तो आप जानेंगे कि इनके निचे से निकल जाने मात्र से आपको बल प्राप्त होता हैं. यह पांच वृक्ष हैं -
1. बेलपत्र वृक्ष
2. शमी पत्र वृक्ष
3. आंवले
4. पीपल वृक्ष
5. वट वृक्ष
इन वृक्षों के निचे यदि कोई पाच दस मिनिट बैठ कर श्री शिवाय नमस्तुभ्यम, नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय या ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करता हैं तो उसका फल उसको अवश्य प्राप्त होता हैं. यदि थोड़ी देर भी इन वृक्षों की छाँव में बैठने का अवसर प्राप्त हो तो वहां बैठकर मंत्र जाप का लाभ अवश्य प्राप्त करना चाहिए.
श्री गणेश पुराण में वर्णन प्राप्त होता हैं कि शमी का का वृक्ष शरीर के रोगों को खिचता हैं. जब शमी वृक्ष का पौधा छोटा होता तब तक उसे आप घर में रख सकते हैं यह घर में रखा हुआ पौधा आपके दुःख को दूर करता हैं, आपके कष्ट दूर करता हैं. जब आप शमी के पौधे के बड़े होने पर कही दूसरी जगह पर लगा देते हैं. ऐसे में यदि कोई दूसरा व्यक्ति उसके पास से निकल कर भी जाता हैं तो यह उसके भी दुःख दूर करता हैं. उसके शरीर के रोग भी दूर करता हैं.
एक असुर हुआ उसका नाम मायासुर था. वह बहुत बलशाली था. सभी देवताओं में उसके बल की चर्चा थी. ब्रह्मा देव ने विष्णु जी से पूछा एवं अन्य देवताओं ने भी एक दुसरे से उसके बल के बारे में पूछा कि जब इसने कोई उपासना, तप, साधना नहीं की नाही ही किसी भगवान की तपस्या की फिर इस मायासुर के पास इतना बल कहाँ से आया. फिर भी किसी को पता नहीं लग पा रहा था कि मायासुर के पास इतना बल आया कैसे. वहीँ समय के साथ साथ उसके बल में और भी वृद्धि हो रही थी. वह क्या उपासना करता था, क्या साधना करता था किसी को कोई जानकारी नहीं मिल पा रही थी. उसे किसी ने कोई वरदान नहीं दिया फिर मायासुर को इतना बल कैसे मिल रहा हैं. अंत में तुमरुका जी के पास गए एवं तुमरुका जी से पूछा कि यह मायासुर के पास इतना बल कैसे आ रहा हैं. तब तुमरुका जी ने कहा – मायासुर असुर प्रवत्ति का हैं वह फुल एवं खुशबु दार वृक्षों के निचे तो बैठेगा नहीं पता करो यह कहा रहता हैं. पता किया मायासुर एक शमी वृक्ष के निचे सिंहासन लगाकर बैठता था एवं वहीँ समय व्यवतीत करता था. तुमरुका जी ने कहां – बस यही वह शमी पत्र का वृक्ष हैं जो मायासुर को बल देता हैं.
पूर्व में जो पढने वाले बच्चे होते थे वे अपनी पुस्तक में शमी पत्र रखते थे. बाद में धीरे धीरे लोगो ने उसे किसी दुसरे पत्ते से बदल दिया एवं उसे विद्या की पत्ती कहने लगे. वास्तव में वह शमी पत्र ही होता हैं. यह पत्ता पढने वाले बच्चों को बल प्रदान करता हैं. जिससे वे कभी निराश नहीं होते, उनको पढाई के प्रति मनोबल बढ़ता रहे. उनका ध्यान पढ़ाई में लगा रहे.
सावन माह की शिवरात्रि पर जब भी कोई पार्थिव शिवलिंग का पूजन करता हैं तो उसके सभी कष्ट दूर होने लगते हैं. उसे कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़ता हैं. ऐसे घर को शिव अपना घर मानकर उसकी रक्षा स्वयं करता हैं.
इस तरह आज तृतीय दिवस की श्री शिवमहापुराण कथा यही समाप्त होती हैं.
गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा कथा में दो उपाय भी बताए गए यह उपाय, ऐप के एवं वेबसाइट के उपाय खंड में उपलब्ध हैं.
नोट: आज शाम 7 बजे से 8 बजे तक लाइव अभिषेक पूजन किया जाएगा. लाइव कथा का लिंक ऐप के कथा कार्यक्रम खंड में ‘चल रही कथा’ के अंतर्गत उपलब्ध हैं.
हर हर महादेव
श्री शिवाय नमस्तुभ्यम 🙏🙏
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