गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी बताते हैं कि चातुर्मास के चार माह कोई व्रत, दान, पूजन, यज्ञ, तीर्थ यात्रा नहीं कर पाए तो भी कोई बात नहीं. उमा खंड के अन्त्तर्गत वर्णन आता हैं कि श्रावण के माह में जितने भी सोमवार आये उसमें से भी केवल एक सोमवार का व्रत कर आपने यदि एक बेलपत्र भी शिव पर चढ़ा दी तो आपको चातुर्मास व्रत का पुण्य प्राप्त होता हैं.
एक असुर था हयग्रीव, एक समय ब्रह्मा जी को एक क्षण के लिए नींद आई एवं उन्होंने थोड़ी देर के लिए पलक झपकी. उन्होंने जैसे ही पलक झपकी उस असुर हयग्रीव ने ब्रह्मा जी के हाथों में रखे वेदों को चुरा लिया. वह वेदों को चुरा कर ले गया एवं वेदों को कहीं पर छुपा दिया.
वेदों को छुपा कर वह भगवान शिव की तपस्या करने लगा. वह तपस्या में लगा हुआ रहा, तप करता रहा परन्तु शिव प्रसन्न नहीं हुआ. जब शिव प्रसन्न नहीं हुए तब वह माता पार्वती की तपस्या करने लगा. वह माता पार्वती की उपासना करने लगा ताकि माता पार्वती को प्रसन्न कर सकें. माता पार्वती उस हयग्रीव के सामने प्रकट हुई, एवं वर मांगने को कहा. असुर हयग्रीव ने कहा मुझे वर दीजिये मेरे कभी प्राण न छूटे. ऐसी कृपा करो कि मेरी कभी म्रत्यु नहीं हो. माता पार्वती ने कहा – मृत्यु तो सबकी होनी हैं. यह वरदान नहीं दे सकते. हयग्रीव ने कहा ठीक हैं फिर ऐसा वर दो मुझे मारने वाले का मुख भी घोड़े का होना चाहिए जैसा मेरा घोड़े का मुख हैं. माता ने तथास्तु कहा एवं अंतरध्यान हो गई. असुर हयग्रीव के कारण सभी त्राहि त्राहि करने लगे. तब शिव जी एवं विष्णु जी की आपस में चर्चा हुई. शिव जी ने विष्णु जी को पूर्व में माता लक्ष्मी द्वारा दिए गए श्राप ‘आपका मुख घोड़े का होगा’. के पूर्ण होने का समय आ गया हैं. आप का घोड़े का मुख धारण करें एवं चुकी घोड़े का मुख होगा इस कारण आपका नाम हयग्रीव होगा. आपके इस हयग्रीव अवतार के माध्यम से असुर हयग्रीव को मुक्ति प्राप्त होगी. इस तरह भगवान विष्णु द्वारा असुर का वध कर मुक्ति प्रदान की गई.
किसी ने पूछा शिव के भक्तों ने पूछा अन्य देवों एवं शिव जी के भक्तों में क्या अंतर हैं. तो जवाब प्राप्त होता हैं, अन्य देवों का भक्त हो सकता हैं अपने मार्ग से भटक जाए. परन्तु जो शिव का भक्त होता हैं वह कभी अपने मार्ग अपने पथ से भटकता नहीं. शिव के भक्त का विश्वास प्रबल होता हैं
कोटि रूद्र संहिता में एक शब्द आता हैं. यदि कोई व्यक्ति किसी रूप में शिव भक्ति की आराधना में लग जाता हैं तो उसे कुछ मांगने की आवश्यकता नहीं पढ़ती. शिव स्वयं को साथ ले जाकर उस भक्त की कामना पूरी करते हैं.
गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी कहते हैं, कई भक्त बार बार शिव का भजन पूजन, पशुपति नाथ व्रत कर कर के एक दिन सोचते हैं शिव सुनता नहीं हैं एवं वे शिव भक्ति छोड़ देते हैं. भू जल की प्राप्ति तभी होती हैं जब एक ही जगह पर बार बार गहराई तक खुदाई की जाती हैं. इसलिए शिव पर विश्वास कर, एक अटूट विश्वास कर शिव भक्ति आराधना से जुड़े रहे, शिव एक न एक दिन जरुर सुन्त्ता हैं.
संसार का यह नियम हैं, यदि किसी व्यक्ति का बुरा करना हैं. तो उसकी शिक्षा पर असर डाला जाता हैं उसकी शिक्षा की दिशा बदल दी जाती हैं. अंग्रेजो ने भारत में सबसे पहले गुरुकुल प्रथा, काशी आश्रम व्यवस्था, एवं स्थानीय संस्कार शिक्षा को प्रभावित किया.
आजकल प्रकाश की उर्जा से मेट्रो चल जाती हैं. जब एक मेट्रो प्रकाश से चल जाती हैं तो शिव के प्रकाश से यह जीवन भी चल सकता हैं.
शिव मंदिर में दर्शन के लिए जब भी जाए, जब भी पूजन करने के लिए जाए पूजन पश्चात तिन ताली का नाद करना चाहिए. तिन ताली आपके अहंकार एवं अन्य दुर्गुणों का नाश करती हैं एवं शिव का ध्यान आपकी ओर लाती हैं.
किसी के दरवाजे पर बार बार जाने से मान घटता हैं.
परन्तु माता पिता गुरु एवं शिव के दरवाजे पर बार बार जाने से आपका मान बढता हैं.
यदि आपके माता पिता वृद्ध हो जाए उनके पास बैठना चाहिए. प्रतिदिन कुछ समय उनके पास बिताएं. उनसे बात करें. उनसे सुख दुःख की चर्चा करें. उन्हें प्रसन्नचित्त रखने का प्रयास करें.
शिव मंदिर में प्रतिदिन आप जाएं. एक लोटा जल लेकर जाए शिव आपकी प्रतिष्ठा मान सम्मान कभी कम नहीं होने देगा.
इस तरह आज की शिवमहापुराण कथा का प्रथम दिवस यहाँ समाप्त होता हैं
प्रतिदिन हम लगभग 21600 श्वास लेते है. वह प्रत्येक श्वास एक शिव का रूप है. जब तक वह श्वास आती है हम जीवित होते है अन्यथा शरीर एक लाश हो जाता है. इसी...
आज से हैदराबाद में गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी की श्री शिव महापुराण कथा प्रारम्भ हो रही है. आज कथा के प्रथम दिन गुरुदेव द्वारा अजामिल, बिंदुक-चं...
गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा भिलाई, छत्तीसगढ़ में चल रही श्री शिवमहापुराण कथा के अंतिम दिवस आज कथा का वाचन किया गया हैं. उक्त कथा का संक्षे...
श्रावण सोमवार के दिन आज गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी के श्री मुख से पवित्र श्री शिवमहापुराण कथा के छटे दिन आज सुन्दर कथा श्रवण करने का सौभाग्य प्...
जब भी प्रेम का नाम आता हैं, तो सबसे पहले शिव का नाम आता हैं. शिव प्रेम देते भी हैं और शिव अपने भक्तों का प्रेम प्राप्त भी करते हैं. आज के दिन को म...
सम्पूर्ण माह में केवल श्रावण माह एक ऐसा माह हैं, जिसमें मनुष्य हो, सर्प हो, किन्नर हो, गन्धर्व हो या कोई भी जीव हो, यदि वे शिव मंदिर के सामने से भी...
एक मन और दूसरा मंदिर यह दोनों जितने निर्मल और साफ़ होंगे उतना ही भगवान महादेव की कृपा हम सब पर होती हैं. मन भी निर्मल और साफ़ होना चाहिए, यदि मंदिर ...
श्रावण महीने में जितना जितना शिव नाम लिया जाता हैं, जितना शिव भक्ति में इस मन को लगाया जाता है, उतना ही जीवन में आनंद की अनुभूति होने लगती हैं. जम...
स्कंध पुराण में, विष्णु पुराण में पांच ऐसे वृक्ष बताए हैं जिनके निचे से केवल आप निकलकर भी चले जाए तो आपको अद्भुत बल प्राप्त होता हैं. जब आप कुर्म ...
शिव-भक्ति का मुख्य आधार विश्वास हैं. यदि आप शिव पर विश्वास करते हैं तो ही शिव आपको प्राप्त होता हैं. आपके द्वारा किये गए विश्वास के कारण ही शिव आप...
Size: 236
Size: 860
Size: 69
Size: 769
Size: 48
Size: 216
Size: 536
Size: 705
Size: 535