व्यक्ति बार बार म्रत्यु लोक में जन्म लेता है, प्रयास करें जब हम म्रत्यु लोक में मानव के रूप में देह को प्राप्त किये है. तो इस देह इस शरीर से परमात्मा की आराधना करें जिससे हम भव सागर को पार कर सकें.
जैसे छत तक पहुचने के लिए सीढी की जरुरत होती है, वैसे ही शिव तक पहुचने के लिए अविरल भक्ति की जरुरत होती है. वह भक्ति जो बिना आडम्बर के होती है, बिना दिखावे की होती है.
बाजार में जब कोई भी वस्तु लेने जाते है तो उसका एक भाव होता है. सब्जी हो या सोना बिना भाव के नहीं मिलते है. जब सांसारिक वस्तुए बिना भाव के नहीं मिलती. तो शिव भक्ति बिना “भाव” के कैसे प्राप्त हो सकती है.
रुक्मणि जी ने कभी कृष्ण जी को नहीं देखा, कभी उनसे मिली भी नहीं थी, परन्तु उन्होंने कृष्ण जी के बारे में इतनी कथाएँ सुनी थी कि उनसे बिना देखें उनसे प्रेम करने लगी.
भक्ति कथा भी ऐसा ही बहाव है. जब हम कथाओं में बार बार शिव नाम सुनते है. शिव की कथाओं, प्रसंगों को सुन सुन कर शिव से मिलने की ललक बढती है. एक बार जब शिव से मिलन की आस जागती है. तो आपकी भक्ति प्रबल होती चली जाती है एवं शिव मिलता है.
तन और धन के कई दोस्त हो सकते है, आपके पास धन बढेगा तो आपके मित्र बढ़ते जाएंगे, रिश्तेदार बढ़ते जाएँगे. तन अच्छा रहेगा तो रिश्तेदार, मित्र अपने सम्बन्ध बनाए रखेंगे, जैसे ही कोई रोग आया जीवन में कोई तकलीफ आई, आप अस्पताल में आये वे आपसे दूर होते चले जाएंगे. इसलिए तन और धन के कई दोस्त हो सकते है, परन्तु मन का मित्र केवल एक महादेव ही होता है. तन और धन के मित्र चाहे अपने सम्बन्ध निभाए या नहीं, परन्तु यदि आपने शिव से सम्बन्ध बनाया है, तो शिव अपना सम्बन्ध जरुर निभायेंगे. इसलिए आप कभी जीवन में किसी को मित्र बनाए न बनाएं शिव को एक बार अपना मित्र जरुर बनाएं, अपने मन की पीड़ा, अपनी तकलीफ शिव को मित्र मान कर बताए, शिव हमारी पीड़ा जरुर दूर करेंगे.
आज कालिकाल में आडम्बर बहुत बढ़ गया है, व्यक्ति इंसान को ही भगवान बनाने पर तुला हुआ है. यह मत करो, इंसान को इंसान रहने दो, भगवान मत बनाओं.
श्रावण के महीने में दो लोटे जल चढ़ाएं. घर से निकलते समय दोनों हाथों में एक एक कलश रखें. बाहर निकल कर भले ही एक के ऊपर एक कलश रख लेवें. अर्पित करते समय, दोनों हाथों में एक एक कलश रखकर, दोनों कलश से एक साथ जल अर्पित करें
आजकल कुछ लोग हमें अलग अलग समाजों में तोड़ने का प्रयास कर रहे है. हमें अलग अलग समाजों में अपनी पहचान रचने के बजाय. यह मानना चाहिए हम सभी सनातनी है. इसी से सनातन विचार धारा एवं सनातन मजबूत किया जा सकता है. हम सब आज भले ही कितनी ही संख्या में हो, परन्तु है हम सब मनु सतरूपा की संतान. माता पिता जब अपनी संतान को जन्म देते है तो प्रयास करते है यह उत्तम शिक्षा को प्राप्त करें, हमारा नाम रौशन करें. अब संतान की भी जिम्मेदारी होती है की अच्छे कर्म एवं अच्छे संस्कारों के आधार पर अपने माता पिता का नाम कभी ख़राब न होने दे, उन्हें कभी अपमानित होने का मौका न देवें.
एक वट वृक्ष की छाँव बता देती है, की वह वृक्ष कितना पुराना है. उसकी शीतलता जितनी ज्यादा होगी, वह वृक्ष उतना पुराना होगा. इसी तरह एक विद्वान की वाणी बता देती है कि उसकी विद्वत्ता कितनी है. एवं एक अज्ञानी का दिखावा, आडम्बर उसकी पहचान करा देती है.
गुरुदेव कहते है, बेलपत्र की छाँव में, शिव मंदिर में एवं शमशान में थोड़ी देर शान्ति से बैठकर अंतर्मन (यदि कोई माला हो तो माला से) की माला ॐ नमः शिवाय जाप करें. यदि किसी शमशान में जाना हो, वहां परिवार,रिश्तेदार अंतिम क्रिया में लगे हो, ऐसे में यदि आप को समय मिले तो थोड़ी देर शान्ति से एकांत में बैठकर ॐ नमः शिवाय का मन में शान्ति से जाप करना चाहिए.
कुछ लोग शमशान जैसे स्थान पर भी हंसी ठिठोली करते है, गुटका आदि खाते रहते है. यह गलत है. शमशान स्थान स्वयं महादेव का स्थान है. उस स्थान पर ऐसा कोई कृत्य करने से बचना चाहिए.
बेलपत्र के वृक्ष के निचे की छाँव मात्र भी हमारे सर पर आ जाए तो हमारे पाप नष्ट हो जाते है.
चूँकि जाने अनजाने में प्रतिदिन हमसे पाप हो जाते है, प्रयास करें प्रतिदिन बेलपत्र के वृक्ष के निचे एक लोटा जल अर्पित करने का. जल अर्पित न कर सके, तो कालोनी में, नगर में जहां बेलपत्र का वृक्ष हो, उसकी छाँव में बैठकर ॐ नमः शिवाय का जाप करें.
हर हर महादेव
श्री शिवाय नमस्तुभ्यम
प्रतिदिन हम लगभग 21600 श्वास लेते है. वह प्रत्येक श्वास एक शिव का रूप है. जब तक वह श्वास आती है हम जीवित होते है अन्यथा शरीर एक लाश हो जाता है. इसी...
आज से हैदराबाद में गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी की श्री शिव महापुराण कथा प्रारम्भ हो रही है. आज कथा के प्रथम दिन गुरुदेव द्वारा अजामिल, बिंदुक-चं...
गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा भिलाई, छत्तीसगढ़ में चल रही श्री शिवमहापुराण कथा के अंतिम दिवस आज कथा का वाचन किया गया हैं. उक्त कथा का संक्षे...
श्रावण सोमवार के दिन आज गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी के श्री मुख से पवित्र श्री शिवमहापुराण कथा के छटे दिन आज सुन्दर कथा श्रवण करने का सौभाग्य प्...
जब भी प्रेम का नाम आता हैं, तो सबसे पहले शिव का नाम आता हैं. शिव प्रेम देते भी हैं और शिव अपने भक्तों का प्रेम प्राप्त भी करते हैं. आज के दिन को म...
सम्पूर्ण माह में केवल श्रावण माह एक ऐसा माह हैं, जिसमें मनुष्य हो, सर्प हो, किन्नर हो, गन्धर्व हो या कोई भी जीव हो, यदि वे शिव मंदिर के सामने से भी...
एक मन और दूसरा मंदिर यह दोनों जितने निर्मल और साफ़ होंगे उतना ही भगवान महादेव की कृपा हम सब पर होती हैं. मन भी निर्मल और साफ़ होना चाहिए, यदि मंदिर ...
श्रावण महीने में जितना जितना शिव नाम लिया जाता हैं, जितना शिव भक्ति में इस मन को लगाया जाता है, उतना ही जीवन में आनंद की अनुभूति होने लगती हैं. जम...
स्कंध पुराण में, विष्णु पुराण में पांच ऐसे वृक्ष बताए हैं जिनके निचे से केवल आप निकलकर भी चले जाए तो आपको अद्भुत बल प्राप्त होता हैं. जब आप कुर्म ...
शिव-भक्ति का मुख्य आधार विश्वास हैं. यदि आप शिव पर विश्वास करते हैं तो ही शिव आपको प्राप्त होता हैं. आपके द्वारा किये गए विश्वास के कारण ही शिव आप...
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