आज की काग भुसंडी प्रसंग पर होकर भगवान, मंत्र आदि में भेद न करने पर आधारित रही
सच्चा संत, सच्चा भक्त, सच्चा गुरु कभी भी भगवान देवताओं में भेद नहीं करेगा.
वह कभी नहीं कहेगा की यह भगवान बड़े है यह छोटे है, यह देवता ऊँचे है यह निचे है. यह ऊपर है यह निचे. वे कभी किसी मंत्र को अच्छा बुरा नहीं कहेंगे.
एक सच्चा संत, एक सच्चा गुरु हमेशा यही कहेगा आपको जिसका पूजन, साधना करनी हो आप करो, जिसको ध्यान करना हो आप करो, जो मंत्र जाप करना हो वह मंत्र जाप करें. वे कभी मंत्र और भगवान में कोई भेद नहीं करते.
यदि कोई डॉक्टर किसी व्यक्ति को शारीरिक अभ्यास का भी कहता है तो बस कुछ दिनों तक करते है, जैसे है शरीर थोडा ठीक होने लगता है वैसे ही अभ्यास बंद कर देते है. इसी तरह
यदि कोई कहता है, तुम्हारी दूकान, व्यापार या घर पर किसी ने टोना-टोटका कर दिया है, नजर लगा दी है इसलिए दुकान या व्यापार चल नहीं रही है. सही मायने में हमने अपने व्यापार पर ध्यान देना बंद कर दिया इसलिए व्यापार प्रभावित हुआ है. अपने कर्म पर भरोसा कर कार्य करते रहे.
पति ने कभी अपने बच्चों के सामने अपनी पत्नी की बुराई नहीं करना चाहिए, वहीँ पत्नी को चाहिए कभी अपने बच्चो से उनके पिता की बुराई नहीं करनी चाहिए.
आजकल सोने की सीढि चढ़ने को बहुत माना जाता है. परन्तु नहीं पता जो भी सोने की सीढि चढ़ा है वह वैकुण्ठ धाम पंहुचा या नहीं, परन्तु जो भोलेनाथ के मंदिर की सीढि चढ़ जाता है वह जरुर परमात्मा के चरणों में स्थान प्राप्त करता है.
वामन अवतार में भगवान वामन ने तिन पग भूमि मांगी, तब राजा बलि ने अपने पुत्र से संकल्प हेतु जल लाने को कहा. पुत्र ने दान करने से मना कर दिया एवं जल भी नहीं लाया. इस पर पिता की अवज्ञा होने पर राजा बलि ने उसे पत्थर होने का श्राप दिया.
बहुत याचना एवं क्षमा मांगने पर राजा बलि ने कहा शिव के चरणों की रज से तुम्हारा उद्धार होगा. उसे कहा त्रेतायुग में शिव रूप में हनुमान जी आयेंगे वे जब लंका की ओर प्रस्थान करेंगे तब जिस शिला पर पाँव रखकर वे लंका को जाएंगे वह तुम होंगे और इससे तुम पाताल में चले जाओगे और तुम्हारा उद्धार होगा.
भजन में, कथा में, यज्ञ पूजन आदि किसी भी धार्मिक कार्य में कभी रोड़ा नहीं बनना चाहिए. अपितु चाहिए की जितना सहयोग हो सके उतना ज्यादा से ज्यादा सहयोग किया जा सके.
सोशल मीडिया पर या कहीं पर भी यदि शिव निंदा सुन रहे हो, या शिव मंत्र की निंदा सुन रहे हो तो वहां से दूर हो जाना चाहिए. देवर्षि नारद न शिव निंदा की उनका बन्दर का मुख हुआ. वहीँ भगवान विष्णु ने शिव निंदा सुनी उनका घोड़े का मुह हुआ था. इसलिए भोलेनाथ की निंदा न सुनना चाहिए ना ही करना चाहिए.
गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा एक सुन्दर उपाय भी बताया गया जो की उपाय खंड में उपलब्ध है
प्रतिदिन हम लगभग 21600 श्वास लेते है. वह प्रत्येक श्वास एक शिव का रूप है. जब तक वह श्वास आती है हम जीवित होते है अन्यथा शरीर एक लाश हो जाता है. इसी...
आज से हैदराबाद में गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी की श्री शिव महापुराण कथा प्रारम्भ हो रही है. आज कथा के प्रथम दिन गुरुदेव द्वारा अजामिल, बिंदुक-चं...
गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा भिलाई, छत्तीसगढ़ में चल रही श्री शिवमहापुराण कथा के अंतिम दिवस आज कथा का वाचन किया गया हैं. उक्त कथा का संक्षे...
श्रावण सोमवार के दिन आज गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी के श्री मुख से पवित्र श्री शिवमहापुराण कथा के छटे दिन आज सुन्दर कथा श्रवण करने का सौभाग्य प्...
जब भी प्रेम का नाम आता हैं, तो सबसे पहले शिव का नाम आता हैं. शिव प्रेम देते भी हैं और शिव अपने भक्तों का प्रेम प्राप्त भी करते हैं. आज के दिन को म...
सम्पूर्ण माह में केवल श्रावण माह एक ऐसा माह हैं, जिसमें मनुष्य हो, सर्प हो, किन्नर हो, गन्धर्व हो या कोई भी जीव हो, यदि वे शिव मंदिर के सामने से भी...
एक मन और दूसरा मंदिर यह दोनों जितने निर्मल और साफ़ होंगे उतना ही भगवान महादेव की कृपा हम सब पर होती हैं. मन भी निर्मल और साफ़ होना चाहिए, यदि मंदिर ...
श्रावण महीने में जितना जितना शिव नाम लिया जाता हैं, जितना शिव भक्ति में इस मन को लगाया जाता है, उतना ही जीवन में आनंद की अनुभूति होने लगती हैं. जम...
स्कंध पुराण में, विष्णु पुराण में पांच ऐसे वृक्ष बताए हैं जिनके निचे से केवल आप निकलकर भी चले जाए तो आपको अद्भुत बल प्राप्त होता हैं. जब आप कुर्म ...
शिव-भक्ति का मुख्य आधार विश्वास हैं. यदि आप शिव पर विश्वास करते हैं तो ही शिव आपको प्राप्त होता हैं. आपके द्वारा किये गए विश्वास के कारण ही शिव आप...
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