एक मूर्तिकार जब मूर्ति बनाता है तो उसमें थोड़ी मिटटी लगाता है, और निकालता है और तराशता है उसका पूरा प्रयास रहता है की मूर्ति सुन्दर बने.
यदि आप जीवन में कष्ट महसूस करें, तकलीफे महसूस करें तो समझना भोलेनाथ हमारी मूर्ति सुन्दर बनाने का प्रयास कर रहा है
कभी कभी आपके मन में आता होगा, कोई व्यक्ति तो कभी कोई पूजन नहीं करता, कभी मंदिर नहीं जाता फिर भी वैभव पूर्ण जीवन जीता है, उसे कोई तकलीफ नही होती ऐसा क्यों.
यह उसके पूर्व कर्मो का फल होता है, इसलिए प्रयास करे अच्छे कर्म करते रहे उसका फल आज नहीं तो कल मिलता जरुर है.
जीवन में जब भी कोई पाप होता है, हमारे हाथ, पाँव, नेत्र, चरण एवं वाणी में वह बल होता है कि वह बड़े से बड़े पाप को काट सकता है, हमारी कोशिश रहे इनका उपयोग हम धर्म के काम में करें. सकारात्मक कार्य में उपयोग करें.
दूध की किमत कम होती है, जबकि उससे पदार्थो की कीमत ज्यादा होती है. दूध से जब कुछ बनाया जाता है तो पहले उसे तपाया जाता है, गर्म किया जाता है.
इसी तरह इस जीवन को यदि श्रेष्ठ कारी बनाना है, जीवन का मूल्य बढ़ाना है तो इसे कुछ परेशानियों, कुछ तकलीफों में तपाना ही पड़ता है.
जब अवसर मिले आप कुबेरेश्वर धाम आए तो भोजन प्रसादी बाबा के भंडारे में अवश्य करें. चाहे आप कितने भी सक्षम हो बाहर कही होटल में भोजन कर सकते है, पर प्रयास करें बाबा के धाम में जो प्रसादी मिलती है उसको ग्रहण कर अपने जीवन को धन्य अवश्य बनाएं.
यदि कोई उपासक है, कोई साधू है, कोई संत है, कोई कथा वाचक है तो उन्हें उसी रूप में स्वीकार करिए. अपनी श्रद्धा भक्ति के कारण उन्हें भगवान नहीं बनाना चाहिए.
श्री शिवाय नमस्तुभ्यम कहने सुनने मात्र से नकारात्मक उर्जा ख़त्म होती है एवं सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. घरों के दरवाजे पर श्री शिवाय नमस्तुभ्यम लिखवाना चाहिए. कई घरों में लोग डोर बेल में यह मंत्र बजता है. अभिवादन के रूप में श्री शिवाय नमस्तुभ्यम कहा जा सकता है
जब भी अवसर मिले शिव कथा जहां भी चल रही हो सेवा का लाभ लेवें. किसी भी तरह से वहा चल रहे सेवा प्रकल्प का हिस्सा बनने का प्रयास करें. मंत्र जाप करें, भजन करें, कीर्तन करें. किसी भी रूप में शिव भक्ति में लीन रहें. एवं कभी भी किसी शिव भक्ति की निंदा न करें.
गुरुदेव द्वारा गुरुपूर्णिमा महोत्सव की जानकारी दी गई है. यह जानकारी आप सूचनाएं खंड में देख सकते है.
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प्रतिदिन हम लगभग 21600 श्वास लेते है. वह प्रत्येक श्वास एक शिव का रूप है. जब तक वह श्वास आती है हम जीवित होते है अन्यथा शरीर एक लाश हो जाता है. इसी...
आज से हैदराबाद में गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी की श्री शिव महापुराण कथा प्रारम्भ हो रही है. आज कथा के प्रथम दिन गुरुदेव द्वारा अजामिल, बिंदुक-चं...
गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा भिलाई, छत्तीसगढ़ में चल रही श्री शिवमहापुराण कथा के अंतिम दिवस आज कथा का वाचन किया गया हैं. उक्त कथा का संक्षे...
श्रावण सोमवार के दिन आज गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी के श्री मुख से पवित्र श्री शिवमहापुराण कथा के छटे दिन आज सुन्दर कथा श्रवण करने का सौभाग्य प्...
जब भी प्रेम का नाम आता हैं, तो सबसे पहले शिव का नाम आता हैं. शिव प्रेम देते भी हैं और शिव अपने भक्तों का प्रेम प्राप्त भी करते हैं. आज के दिन को म...
सम्पूर्ण माह में केवल श्रावण माह एक ऐसा माह हैं, जिसमें मनुष्य हो, सर्प हो, किन्नर हो, गन्धर्व हो या कोई भी जीव हो, यदि वे शिव मंदिर के सामने से भी...
एक मन और दूसरा मंदिर यह दोनों जितने निर्मल और साफ़ होंगे उतना ही भगवान महादेव की कृपा हम सब पर होती हैं. मन भी निर्मल और साफ़ होना चाहिए, यदि मंदिर ...
श्रावण महीने में जितना जितना शिव नाम लिया जाता हैं, जितना शिव भक्ति में इस मन को लगाया जाता है, उतना ही जीवन में आनंद की अनुभूति होने लगती हैं. जम...
स्कंध पुराण में, विष्णु पुराण में पांच ऐसे वृक्ष बताए हैं जिनके निचे से केवल आप निकलकर भी चले जाए तो आपको अद्भुत बल प्राप्त होता हैं. जब आप कुर्म ...
शिव-भक्ति का मुख्य आधार विश्वास हैं. यदि आप शिव पर विश्वास करते हैं तो ही शिव आपको प्राप्त होता हैं. आपके द्वारा किये गए विश्वास के कारण ही शिव आप...
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