पूजन के लिए सामान्य मुहूर्त देख कर पूजन कर सकते है, प्रदोष काल भी उत्तम रहेगा.
पांचवे दिन की पूजन विधि में जैसा चार दिन सामान्य पूजन किया है उसी तरह करनी है. पानी के छीटे, चन्दन, कुंकू,धुप, रौली मौली आदि सामग्री से सामान्य पूजन करें
आज कोई हल्दी गाँठ, कमल गट्टा या अमरबेल नहीं चढ़ाना है जो चढ़ा हुआ है पहले से उसी का स्पर्श करके वहीँ चढ़ाना है.
यदि आपने ने चढ़ाई हुई उक्त सामग्री हटा दी है तो एक-एक पुनः अर्पित कर दीजिये
घी के दो दीपक लगाना है – एक सीधे एवं एक उल्टे हाथ पर रखना है. भोग लगा कर आरती करें.
मीठे का भोग लगाए.
आरती कर झोली फैला कर निवेदन करें मन की बात माँ एवं बाबा से कहें. झोली अपनी ओर गिरा लेवे. पूजन में कोई कमी या दोष के लिए क्षमा प्रार्थना करें.
पूरा पूजन होने पर जिन दो सिक्कों का पूजन किया है उन्हें हाथ में लेवें. साथ में एक हल्दी की गठान, एक अमरबेल एवं एक कमलगट्टा (चढ़ाए हुए न लेवे) एक लाल कपड़े में बाँध कर एक दीप साथ में लेकर (एक दीप वहीँ रहने दे) जिस तिजोरी माँ आप सिक्के रखने वाले है उस तिजोरी के पास में वह दीपक रख दे. अपना लाकर-अलमारी खोलकर माता लक्ष्मी का नाम लेकर, बाबा कुबेरेश्वर का नाम लेकर तिजोरी में रख देवे. जो दीपक रखा है उससे वहीँ तिजोरी में उसकी आरती घुमा कर अपने रसोई घर में ले जाकर रख देवे. (कोई दीपक अखंड दीप नहीं है – जितनी देर जले जलने देवे). माता को प्रणाम करें. भोलेनाथ को प्रणाम करें, अपने घर के पूर्वजों को प्रणाम कर झोली पसार कर कहे – हे माँ हे कुबेरेश्वर बाबा हमने पांच दिवस का यह कुबेर लक्ष्मी पूजन किया है – हम पर हमारे घर पर ऐसी कृपा करना बाबा हमेशा सुख सम्रद्धि बनी रहे, स्थाई लक्ष्मी बनी रहें.
आदरणीय भक्तजन हमने पांच दिवसीय दीपावली पर्व की सम्पूर्ण जानकारी आपसे साझा की. इस बिच कोई त्रुटी हुई हो तो हमें क्षमा करें.
आगे भी गुरुदेव की कथाओं में बताए उपाय आप तक पहुचाते रहेंगे. आपके हमारे इस साथ को बनाए रखें.
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बाबा कुबेरभंडारी सभी के भंडारी भरे इसी भाव के साथ
श्री शिवाय नमस्तुभ्यम 🙏🙏🙏
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