गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा प्रत्येक कथा में रुद्राक्ष का महान महत्त्व बताया जाता है. सभी भक्तों के लिए रुद्राक्ष के बारे में सम्पूर्ण जानकारी एक जगह उपलब्ध कराई जा रही है.
(सम्पूर्ण तथ्य केवल गुरुदेव द्वारा बताई गई जानकारी के आधार पर है )
यदि आप रुद्राक्ष ला रहे है एवं घर में कोई मरीज है उसे रुद्राक्ष का जल पिलाए अन्यथा बच्चो के गले में, या बड़े भी अपने गले में लाल धागे में धारण कर सकते है.
रुद्राक्ष अभिमंत्रित कैसे करें
अमावस्या, पूर्णिमा, शिवरात्री, श्रावण सोमवार, प्रदोष के दिन उपरोक्त दिनों में
रुद्राक्ष को दूध में स्नान कराने के पश्चात, जल से स्नान करवाने के पश्चात, रुद्राक्ष पर थोड़ा सरसों का तेल अवश्य लगाना चाहिए. इससे रुद्राक्ष को बल प्राप्त होता है. पूजन के दौरान श्री शिवाय नमस्तुभ्यम का जाप करते रहें.
नोट: यदि रुद्राक्ष का उपयोग आप गला कर मरीज को पानी पिलाने के लिए कर रहे है उस पर सरसों के तेल का उपयोग न करें. (केवल दूध एवं जल से स्नान ही करवाएं)
रुद्राक्ष के प्रकार एवं उनका लाभ
एक मुखी - लक्ष्मी वृद्धि
दो मुखी – बाधाओं को दूर करता है
तिन मुखी – विद्या प्राप्ति हेतु
(यदि बच्चे पढ़ाई में कमजोर हो, नौकरी के लिए बार बार परीक्षाएं दे रहे सफलता नहीं मिल रही तो एक लाल धागे में तिनमुखी रुद्राक्ष धारण करे अवश्य सफलता प्राप्त होगी)
चार मुखी – खोई हुई वस्तु प्राप्त करने के लिए
(घर से कोई सामान चोरी हो गया, कोई चीज कही गुम हो गई नहीं मिल रही एक कटोरी में आटा लेकर चार मुखी रुद्राक्ष उसके अन्दर रख देवे मात्र पांच दिवस में वह वस्तु आपको प्राप्त होगी.
पांच मुखी – उत्तम कार्य की प्राप्ति (कार्य की सफलता हेतु)
छ मुखी – अटके कार्य बनाता है (कोर्ट कचहरी के मामलो हेतु)
सात मुखी – यह रुद्राक्ष धनवान बनाता है
आठ मुखी एवं ग्यारह मुखी रुद्राक्ष – इस रुद्राक्ष को धारण करने से, रुद्राक्ष का जल पिलाने से व्यक्ति का सुगर लेवल सही रहता है.
नौ मुखी – वंश वृद्धि हेतु (स्त्री हेतु)
दस मुखी – घुटनों के दर्द हेतु
बारह मुखी – ब्लड प्रेशर हेतु
तेरह मुखी – सम्पदा में वृद्धि हेतु
चौदह मुखी – मानसिक रोग, सिर दर्द आदि निराकरण हेतु
रुद्राक्ष पांच स्थानों पर पहन कर नहीं जाना चाहिए
1. किसी की म्रत्यु आदि जगह पर
2. जहाँ बच्चे का जन्म हुआ हो
3. जहाँ वैश्यावृत्ति या मदिरापान होता हो
4. यदि आपको लगे किसी स्थान पर किसी जीव की हत्या हुई है, या जीव को नष्ट किया गया है ऐसे स्थान पर भी रुद्राक्ष को नहीं ले जाना चाहिए.
5. जहां रुद्राक्ष का अपमान हो (उपहास हो, मजाक उड़ाया जाए) ऐसे स्थान पर भी रुद्राक्ष नहीं ले जाना चाहिए.
तुलसी माला एवं रुद्राक्ष माला
तुलसी माला एवं रुद्राक्ष माला साथ पहनी जा सकता है. गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी कहते है यह केवल दुनिया के लोगो ने भ्रम पैदा किया है कि रुद्राक्ष के साथ तुलसी न पहने.
आप तुलसी एवं रुद्राक्ष साथ में धारण कर सकते है.
विशेष: जितना रुद्राक्ष छोटा होता है उतना फलदायी होता है. रुद्राक्ष ओरिजनल होना चाहिए.
रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसकी परीक्षा करिए.
शहद और पानी को मिलाइए, इसमें रुद्राक्ष को पटक दीजिए. कुछ समय रुद्राक्ष निचे रहेगा फिर वह ऊपर आ जाएगा. यह सही रुद्राक्ष होता है.
हर हर महादेव
श्री शिवाय नमस्तुभ्यम
कृपया जानकारी सभी से शेयर करें ताकि सभी को सही जानकारी प्राप्त हो. किसी भटकाव में/भ्रम में ना रहे.
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