Header Icon

Pandit Pradeep Mishra - सम्पूर्ण जानकारी

Download The App
Image Not Available

एरावतेश्वर शिवमंदिर

कुंभकोणम, तमिलनाडू
Image Not Available
Image Not Available
गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी द्वारा एक शिवपुराण कथा में एरावतेश्वर शिवलिंग की कथा का स्मरण किया गया.
ऐरावत हाथी को देवराज इंद्र ने श्राप दिया था. उस श्राप से मुक्ति के लिए ऐरावत हाथी द्वारा इस शिवलिंग की स्थापना की गई एवं आराधना की. आदिदेव महादेव इस आराधना से प्रसन्न हुए एवं ऐरावत हाथी को श्राप मुक्त किया.
आज उसी हाथी के नाम पर इस शिव मंदिर को एरावतेश्वर शिवमंदिर के नाम से जाना जाता है.

दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के कुंभकोणम के पास 3 किमी की दूरी पर स्थित है। मंदिर न केवल अपने धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि ये प्राचीन बास्तुक्ला के लिए भी प्रसिद्ध है। मंदिर की आकृति और अंदर बनी मंदिर की डिजाइनिंग लोगों को काफी आकर्षित करती है।

मंदिर को द्रविड़ शैली में भी बनाया गया था। प्राचीन मंदिर में आपको रथ की संरचना भी दिख जाएगी और वैदिक और पौराणिक देवता जैसे इंद्र, अग्नि, वरुण, वायु, ब्रह्मा, सूर्य, विष्णु, सप्तमत्रिक, दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, गंगा, यमुना जैसे भगवान यहां शामिल हैं। समय के साथ आपको मंदिर के कई हिस्से टूटे हुए दिखाई देंगे। बाकि कुछ हिस्से आज भी उसी मजबूती के साथ खड़े हैं।

मंदिर की सीढ़ियों से निकलता है संगीत की धुन
एक खास चीज जो इस मंदिर को बेहद दिलचस्प और एकदम खास बनाती है, वो यहां की सीढ़ियां। मंदिर के प्रवेश वाले द्वार पर एक पत्थर की सीढ़ी बनी हुई है, जिसके हर कदम पर अलग-अलग ध्वनि निकलती है। इन सीढ़ियों के माध्यम से आप आप संगीत के सातों सुर सुन सकते हैं।

यह मंदिर, कुंभकोणम शहर के बाहरी इलाके से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है। कुंभकोणम का पास का हवाई अड्डा शहर से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर त्रिची अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। इसका अपना रेलवे स्टेशन है जो रेल के माध्यम से त्रिची, मदुरै, चेन्नई आदि शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इस शहर के लिए बस सेवाएं उपलब्ध हैं, जबकि कैब और ऑटो का उपयोग शहर के अंदर जाने के लिए किया जा सकता है।