श्री शिव मंदिर, असीरगढ़ किला
बुरहानपुर, मध्यप्रदेश
देशभर में भगवान शिव के अनेक मंदिर अपनी-अपनी मान्यता, विशेषता और कविदंतियों के कारण भक्तों की गहरी आस्था का केंद्र हैं. बुरहानपुर में असीरगढ़ के किले पर स्थित शिवालय भी अपने रहस्य के कारण श्रद्धालुओं के बीच बहुत प्रसिद्ध है. माना जाता है कि यहां अश्वत्थामा खुद रोजाना भोलेनाथ की अराधना करने आते हैं और शिवलिंग पर सबसे पहले गुलाब का फूल वे ही चढ़ाकर जाते हैं.
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित एक ऐसा ही प्राचीन शिवालय है, जिसे लेकर कई रहस्यमयी किवदंतियां प्रचलित हैं। जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर सतपुड़ा की पहाड़ियों पर स्थित असीरगढ़ किले में भगवान शिव का एक अद्वितीय मंदिर है। इस मंदिर को महाभारत काल से जोड़ने वाली अनेक कथाएं सुनने को मिलती हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में आज भी महाभारत के महान योद्धा और गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ब्रह्म मुहूर्त में आकर भगवान शिव का पूजन करते हैं।
अश्वत्थामा की पूजा का अद्भुत प्रमाण
मंदिर के पुजारियों और किले के कर्मचारियों का कहना है कि सुबह जब मंदिर के पट खोले जाते हैं, तो शिवलिंग पर बेलपत्र और ताजे पुष्प चढ़े हुए मिलते हैं। यह अद्भुत घटना हर दिन देखने को मिलती है, और इसे अश्वत्थामा की उपस्थिति का प्रमाण माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अश्वत्थामा, जो भगवान शिव के अनन्य भक्त हैं, महाभारत के समय से अमरत्व का वरदान प्राप्त करके इस स्थान पर अपनी भक्ति को निरंतर व्यक्त कर रहे हैं।
महाभारत कालीन इतिहास से जुड़ा है यह शिवालय
इतिहासकारों और संत समाज का भी मानना है कि यह शिवालय महाभारत काल का है। असीरगढ़ किले का यह मंदिर वास्तुकला और धार्मिक महत्व का अद्वितीय उदाहरण है। यह स्थान न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से बल्कि धार्मिक आस्था के केंद्र के रूप में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।