काठगढ़ महादेव मंदिर
काठगढ़, जिला कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में काठगढ़ महादेव मंदिर है. ये शिव मंदिर हिन्दुस्तान में ही नहीं, पूरी दुनिया में खास पहचान रखता है. यहां महादेव के अर्धनारीश्वर स्वरूप की आराधना होती है. मान्यता है कि शिव के ये दो स्वरूप स्वत ही अलग होते हैं और फिर मिल जाते हैं.
यह मंदिर जालंधर-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग के गांव मीरथल से चार किलोमीटर की दूरी पर, इंदौरा से चार किमी तथा पठानकोट से बस मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है, यह एक ऊंचे टीले पर नदी के किनारे स्थित है।
शिवलिंग को लेकर है भक्तों की विशेष आस्था
मंदिर में विशाल शिवलिंग है, जो दो भागों में विभाजित है। उसको मां पार्वती और भगवान शिव के दो रूपों में माना जाता है। इस शिवलिंग की विशेषता ये है कि ग्रहों और नक्षत्रों के अनुरूप इन दोनों भागों के बीच अंतर घटता व बढ़ता रहता है। माता पार्वती और उनका प्रिय सांप भी स्वयं-भू प्रकट है। ग्रीष्म ऋतु में यह स्वरूप दो भागों में बंट जाता है और शिवरात्रि के दिन यह दोबारा एकरूप धारण कर लेता है। यह जानकारी Pandit Pradeep Mishra App पर उपलब्ध है
यह भी कथा प्रचलित है कि भगवान राम के भ्राता महाराज भरत अपने ननिहाल कैकेय जाते थे, तो रास्ते में यहीं पर रुककर अपने अराध्य देव शिव जी की पूजा किया करते थे। इतिहास में वर्णन आता है कि सिकंदर भारत विजय का अपना सपना यहीं पर अधूरा छोड़कर वापस अपने देश लौटा था। अत्यंत ही सुंदर इस शिवालय की ऐतिहासिक चारदीवारी में यूनानी शिल्पकला का प्रतीक व प्रमाण देखने को मिलता है।