श्री वेनेश्वर महादेव, सोमनाथ
सोमनाथ मंदिर के पास, गुजरात, गुजरात
गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी के द्वारा कथा में श्री वेनेश्वर महादेव मंदिर के बारे में बताया गया.
कुछ अन्य स्त्रोतों के अनुसार
सन् 1025 का समय था। महमूद गजनवी सोमनाथ को लूटने के इरादे से भारत आया हुआ था। सोमनाथ के वैभव के कारण ही यह क्षेत्र अक्सर इस्लामिक आक्रान्ताओं के निशाने पर रहा। जब महमूद गजनवी सोमनाथ को लूटने के लिए आगे बढ़ा तो उसे सोमनाथ के स्थानीय राजपूत शासक से कड़ी टक्कर मिली। राजपूत शासक किसी भी हालत में समर्पण करने को तैयार नहीं थे। सोमनाथ की सुरक्षा में जुटे शासक के साहस के आगे महमूद गजनवी बेबस नजर आ रहा था और उसे सोमनाथ को लूटने का अपना स्वप्न भी अधूरा लगने लगा। ऐसे में उसने अपनी वही कट्टर इस्लामिक प्रवृत्ति अपनाई।
महमूद गजनवी ने राजपूत शासक की बेटी राजकुमारी वेनी के अपहरण की योजना बनाई। महमूद गजनवी की योजना थी कि राजकुमारी का अपहरण करके राजा पर दबाव बनाया जाए। राजकुमारी वेनी एक प्रखर शिवभक्त मानी जाती थीं और प्रभास पाटन किले के बाहर स्थित भगवान शिव के मंदिर में रोज उनकी आराधना करने जाया करती थीं। जब महमूद गजनवी और उसकी इस्लामिक फौज ने राजकुमारी वेनी का अपहरण करने की कोशिश की, तब वेनी ने खुद को उसी मंदिर के अंदर बंद कर लिया और भगवान शिव से अपनी रक्षा करने की प्रार्थना की। कहा जाता है कि उस दिन भगवान शिव ने वो चमत्कार दिखाया, जो संभवतः कभी भी देखा नहीं गया था। राजकुमारी वेनी की प्रार्थना सुनने के बाद मंदिर में स्थापित शिवलिंग दो भागों में विभक्त हो गया और उसने राजकुमारी वेनी को अपने अंदर समाहित कर लिया।
उक्त मंदिर श्री वेनेश्वर महादेव के नाम से पूजित होता है.
यह मंदिर सोमनाथ ज्योतिर्लिंग से मात्र 1 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है.
अतः जब भी भक्तगण सोमनाथ दर्शन के लिए जाए..एक बार यहाँ भी दर्शन अवश्य करें.
यह न केवल भोलेनाथ की अपने भक्त के प्रति आशीर्वाद एवं अपनत्व को दर्शाता है..बल्कि एक भारतीय नारी के पूजन शक्ति को भी सुशोभित करता है.
हर हर महादेव
श्री शिवाय नमस्तुभ्यम 🙏🙏